1 Samuel 20:32
योनातन ने अपने पिता शाऊल को उत्तर देकर उस से कहा, वह क्यों मारा जाए? उसने क्या किया है?
1 Samuel 20:32 in Other Translations
King James Version (KJV)
And Jonathan answered Saul his father, and said unto him, Wherefore shall he be slain? what hath he done?
American Standard Version (ASV)
And Jonathan answered Saul his father, and said unto him, Wherefore should he be put to death? what hath he done?
Bible in Basic English (BBE)
And Jonathan, answering his father Saul, said to him, Why is he to be put to death? What has he done?
Darby English Bible (DBY)
And Jonathan answered Saul his father, and said to him, Why should he be put to death? what has he done?
Webster's Bible (WBT)
And Jonathan answered Saul his father, and said to him, Why shall he be slain? what hath he done?
World English Bible (WEB)
Jonathan answered Saul his father, and said to him, "Why should he be put to death? What has he done?"
Young's Literal Translation (YLT)
And Jonathan answereth Saul his father, and saith unto him, `Why is he put to death? what hath he done?'
| And Jonathan | וַיַּ֙עַן֙ | wayyaʿan | va-YA-AN |
| answered | יְה֣וֹנָתָ֔ן | yĕhônātān | yeh-HOH-na-TAHN |
| אֶת | ʾet | et | |
| Saul | שָׁא֖וּל | šāʾûl | sha-OOL |
| father, his | אָבִ֑יו | ʾābîw | ah-VEEOO |
| and said | וַיֹּ֧אמֶר | wayyōʾmer | va-YOH-mer |
| unto | אֵלָ֛יו | ʾēlāyw | ay-LAV |
| Wherefore him, | לָ֥מָּה | lāmmâ | LA-ma |
| shall he be slain? | יוּמַ֖ת | yûmat | yoo-MAHT |
| what | מֶ֥ה | me | meh |
| hath he done? | עָשָֽׂה׃ | ʿāśâ | ah-SA |
Cross Reference
मत्ती 27:23
हाकिम ने कहा; क्यों उस ने क्या बुराई की है? परन्तु वे और भी चिल्ला, चिल्लाकर कहने लगे, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए”।
1 शमूएल 19:5
उसने अपने प्राण पर खेलकर उस पलिश्ती को मार डाला, और यहोवा ने समस्त इस्राएलियों की बड़ी जय कराई। इसे देखकर तू आनन्दित हुआ था; और तू दाऊद को अकारण मारकर निर्दोष के खून का पापी क्यों बने?
लूका 23:22
उस ने तीसरी बार उन से कहा; क्यों? उस ने कौन सी बुराई की है? मैं ने उस में मृत्यु दण्ड के योग्य कोई बात नहीं पाई! इसलिये मैं उसे पिटवाकर छोड़ देता हूं।
यूहन्ना 7:51
क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को जब तक पहिले उस की सुनकर जान न ले, कि वह क्या करता है; दोषी ठहराती है?
यिर्मयाह 17:9
मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?
सभोपदेशक 9:3
जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है उस में यह एक दोष है कि सब लोगों की एक सी दशा होती है; और मनुष्यों के मनों में बुराई भरी हुई है, और जब तक वे जीवित रहते हैं उनके मन में बावलापन रहता है, और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते हैं।
सभोपदेशक 7:9
अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के हृदय में रहता है।
नीतिवचन 31:8
गूंगे के लिये अपना मुंह खोल, और सब अनाथों का न्याय उचित रीति से किया कर।
नीतिवचन 24:11
जो मार डाले जाने के लिये घसीटे जाते हैं उन को छुड़ा; और जो घात किए जाने को हैं उन्हें मत पकड़ा।
नीतिवचन 22:24
क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना, और झट क्रोध करने वाले के संग न चलना,
1 शमूएल 20:7
यदि वह यों कहे, कि अच्छा! तब तो तेरे दास के लिये कुशल होगा; परन्तु यदि उसका कोप बहुत भड़क उठे, तो जान लेना कि उसने बुराई ठानी है।
1 शमूएल 19:10
और शाऊल ने चाहा, कि दाऊद को ऐसा मारे कि भाला उसे बेधते हुए भीत में धंस जाए; परन्तु दाऊद शाऊल के साम्हने से ऐसा हट गया कि भाला जा कर भीत ही में धंस गया। और दाऊद भागा, और उस रात को बच गया।
1 शमूएल 18:11
तब शाऊल ने यह सोचकर, कि मैं ऐसा मारूंगा कि भाला दाऊद को बेधकर भीत में धंस जाए, भाले को चलाया, परन्तु दाऊद उसके साम्हने से दो बार हट गया।
उत्पत्ति 31:36
तब याकूब क्रोधित हो कर लाबान से झगड़ने लगा, और कहा, मेरा क्या अपराध है? मेरा क्या पाप है, कि तू ने इतना क्रोधित हो कर मेरा पीछा किया है?