यशायाह 26:10 in Hindi

हिंदी हिंदी बाइबिल यशायाह यशायाह 26 यशायाह 26:10

Isaiah 26:10
दुष्ट पर चाहे दया भी की जाए तौभी वह धर्म को न सीखेगा; धर्मराज्य में भी वह कुटिलता करेगा, और यहोवा को महात्म्य उसे सूझ न पड़ेगा॥

Isaiah 26:9Isaiah 26Isaiah 26:11

Isaiah 26:10 in Other Translations

King James Version (KJV)
Let favour be shewed to the wicked, yet will he not learn righteousness: in the land of uprightness will he deal unjustly, and will not behold the majesty of the LORD.

American Standard Version (ASV)
Let favor be showed to the wicked, yet will he not learn righteousness; in the land of uprightness will he deal wrongfully, and will not behold the majesty of Jehovah.

Bible in Basic English (BBE)
Even if you are kind to the evil-doer, he will not go after righteousness; even in the land of the upright he will still go on in his wrongdoing, and will not see the glory of the Lord.

Darby English Bible (DBY)
If favour be shewn to the wicked, he doth not learn righteousness: in the land of uprightness he dealeth unjustly, and beholdeth not the majesty of Jehovah.

World English Bible (WEB)
Let favor be shown to the wicked, yet will he not learn righteousness; in the land of uprightness will he deal wrongfully, and will not see the majesty of Yahweh.

Young's Literal Translation (YLT)
The wicked findeth favour, He hath not learned righteousness, In a land of straightforwardness he dealeth perversely, And seeth not the excellency of Jehovah.

Let
favour
be
shewed
יֻחַ֤ןyuḥanyoo-HAHN
to
the
wicked,
רָשָׁע֙rāšāʿra-SHA
not
he
will
yet
בַּלbalbahl
learn
לָמַ֣דlāmadla-MAHD
righteousness:
צֶ֔דֶקṣedeqTSEH-dek
land
the
in
בְּאֶ֥רֶץbĕʾereṣbeh-EH-rets
of
uprightness
נְכֹח֖וֹתnĕkōḥôtneh-hoh-HOTE
will
he
deal
unjustly,
יְעַוֵּ֑לyĕʿawwēlyeh-ah-WALE
not
will
and
וּבַלûbaloo-VAHL
behold
יִרְאֶ֖הyirʾeyeer-EH
the
majesty
גֵּא֥וּתgēʾûtɡay-OOT
of
the
Lord.
יְהוָֽה׃yĕhwâyeh-VA

Cross Reference

यूहन्ना 5:37
और पिता जिस ने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है: तुम ने न कभी उसका शब्द सुना, और न उसका रूप देखा है।

होशे 11:7
मेरी प्रजा मुझ से फिर जाने में लगी रहती है; यद्यपि वे उन को परमप्रधान की ओर बुलाते हैं, तौभी उन में से कोई भी मेरी महिमा नहीं करता॥

यशायाह 32:6
क्योंकि मूढ़ तो मूढ़ता ही की बातें बोलता और मन में अनर्थ ही गढ़ता रहता है कि वह बिन भक्ति के काम करे और यहोवा के विरुद्ध झूठ कहे, भूखे को भूखा ही रहने दे और प्यासे का जल रोक रखे।

यशायाह 63:9
उनके सारे संकट में उसने भी कष्ट उठाया, और उसके सम्मुख रहने वाले दूत ने उनका उद्धार किया; प्रेम और कोमलता से उसने आप ही उन को छुड़ाया; उसने उन्हें उठाया और प्राचीनकाल से सदा उन्हें लिए फिरा।

यिर्मयाह 2:7
और मैं तुम को इस उपजाऊ देश में ले आया कि उसका फल और उत्तम उपज खाओ; परन्तु मेरे इस देश में आकर तुम ने इसे अशुद्ध किया, और मेरे इस निज भाग को घृणित कर दिया है।

यिर्मयाह 31:23
इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है: जब मैं यहूदी बंधुओं को उनके देश के नगरों में लौटाऊंगा, तब उन में यह आशीर्वाद फिर दिया जाएगा: हे धर्मभरे वासस्थान, हे पवित्र पर्वत, यहोवा तुझे आशीष दे!

यहेजकेल 22:2
हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू उस हत्यारे नगर का न्याय न करेगा? क्या तू उसका न्याय न करेगा? उसको उसके सब घिनौने काम जता दे,

होशे 9:3
वे यहोवा के देश में रहने न पाएंगे; परन्तु एप्रैम मिस्र में लौट जाएगा, और वे अश्शूर में अशुद्ध वस्तुएं खाएंगे॥

होशे 13:6
परन्तु जब इस्राएली चराए जाते थे और वे तृप्त हो गए, तब तृप्त होने पर उनका मन घमण्ड से भर गया; इस कारण वे मुझ को भूल गए।

मीका 2:10
उठो, चले जाओ! क्योंकि यह तुम्हारा विश्राम स्थान नहीं है; इसका कारण वह अशुद्धता है जो कठिन दु:ख के साथ तुम्हारा नाश करेगी।

मीका 3:10
तुम सिय्योन को हत्या कर के और यरूशलेम को कुटिलता कर के दृढ़ करते हो।

मत्ती 4:5
तब इब्लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया।

रोमियो 2:4
क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरज रूपी धन को तुच्छ जानता है और कया यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है?

प्रकाशित वाक्य 2:21
मैं ने उस को मन फिराने के लिये अवसर दिया, पर वह अपने व्यभिचार से मन फिराना नहीं चाहती।

यशायाह 27:13
उस समय बड़ा नरसिंगा फूंका जाएगा, और जो अश्शूर देश में नाश हो रहे थे और जो मिस्र देश में बरबस बसाए हुए थे वे यरूशलेम में आकर पवित्र पर्वत पर यहोवा को दण्डवत करेंगे॥

यशायाह 24:5
पृथ्वी अपने रहने वालों के कारण अशुद्ध हो गई है, क्योंकि उन्होंने व्यवस्था का उल्लंघन किया और विधि को पलट डाला, और सनातन वाचा को तोड़ दिया है।

निर्गमन 8:31
और यहोवा ने मूसा के कहे के अनुसार डांसों के झुण्डों को फिरौन, और उसके कर्मचारियों, और उसकी प्रजा से दूर किया; यहां तक कि एक भी न रहा।

निर्गमन 9:34
यह देख कर कि मेंह और ओलों और बादल का गरजना बन्द हो गया फिरौन ने अपने कर्मचारियों समेत फिर अपने मन को कठोर करके पाप किया।

व्यवस्थाविवरण 32:15
परन्तु यशूरून मोटा हो कर लात मारने लगा; तू मोटा और हृष्ट-पुष्ट हो गया, और चर्बी से छा गया है; तब उसने अपने सृजनहार ईश्वर को तज दिया, और अपने उद्धारमूल चट्टान को तुच्छ जाना॥

1 शमूएल 15:17
शमूएल ने कहा, जब तू अपनी दृष्टि में छोटा था, तब क्या तू इस्राएली गोत्रियों का प्रधान न हो गया, और क्या यहोवा ने इस्राएल पर राज्य करने को तेरा अभिषेक नहीं किया?

भजन संहिता 28:4
उनके कामों के और उनकी करनी की बुराई के अनुसार उन से बर्ताव कर, उनके हाथों के काम के अनुसार उन्हें बदला दे; उनके कामों का पलटा उन्हें दे।

भजन संहिता 78:54
और उसने उन को अपने पवित्र देश के सिवाने तक, इसी पहाड़ी देश में पहुंचाया, जो उसने अपने दाहिने हाथ से प्राप्त किया था।

भजन संहिता 106:43
बारम्बार उसने उन्हें छुड़ाया, परन्तु वे उसके विरुद्ध युक्ति करते गए, और अपने अधर्म के कारण दबते गए।

भजन संहिता 143:10
मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा क्योंकर पूरी करूं, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है! तेरा भला आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले!

नीतिवचन 1:32
क्योंकि भोले लोगों का भटक जाना, उनके घात किए जाने का कारण होगा, और निश्चिन्त रहने के कारण मूढ़ लोग नाश होंगे;

सभोपदेशक 3:16
फिर मैं ने संसार में क्या देखा कि न्याय के स्थान में दुष्टता होती है, और धर्म के स्थान में भी दुष्टता होती है।

यशायाह 2:10
यहोवा के भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टान में घुस जा, और मिट्टी में छिप जा।

यशायाह 5:12
उनकी जेवनारों में वीणा, सारंगी, डफ, बांसली और दाखमधु, ये सब पाए जाते हैं; परन्तु वे यहोवा के कार्य की ओर दृष्टि नहीं करते, और उसके हाथों के काम को नहीं देखते॥

यशायाह 22:12
उस समय सेनाओं के प्रभु यहोवा ने रोने-पीटने, सिर मुंडाने और टाट पहिनने के लिये कहा था;

निर्गमन 8:15
परन्तु जब फिरोन ने देखा कि अब आराम मिला है तक यहोवा के कहने के अनुसार उसने फिर अपने मन को कठोर किया, और उनकी न सुनी॥