Isaiah 55:11
उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा॥
Isaiah 55:11 in Other Translations
King James Version (KJV)
So shall my word be that goeth forth out of my mouth: it shall not return unto me void, but it shall accomplish that which I please, and it shall prosper in the thing whereto I sent it.
American Standard Version (ASV)
so shall my word be that goeth forth out of my mouth: it shall not return unto me void, but it shall accomplish that which I please, and it shall prosper in the thing whereto I sent it.
Bible in Basic English (BBE)
So will my word be which goes out of my mouth: it will not come back to me with nothing done, but it will give effect to my purpose, and do that for which I have sent it.
Darby English Bible (DBY)
so shall my word be that goeth forth out of my mouth: it shall not return unto me void, but it shall do that which I please, and it shall accomplish that for which I send it.
World English Bible (WEB)
so shall my word be that goes forth out of my mouth: it shall not return to me void, but it shall accomplish that which I please, and it shall prosper in the thing whereto I sent it.
Young's Literal Translation (YLT)
So is My word that goeth out of My mouth, It turneth not back unto Me empty, But hath done that which I desired, And prosperously effected that `for' which I sent it.
| So | כֵּ֣ן | kēn | kane |
| shall my word | יִֽהְיֶ֤ה | yihĕye | yee-heh-YEH |
| be | דְבָרִי֙ | dĕbāriy | deh-va-REE |
| that | אֲשֶׁ֣ר | ʾăšer | uh-SHER |
| goeth forth | יֵצֵ֣א | yēṣēʾ | yay-TSAY |
| mouth: my of out | מִפִּ֔י | mippî | mee-PEE |
| it shall not | לֹֽא | lōʾ | loh |
| return | יָשׁ֥וּב | yāšûb | ya-SHOOV |
| unto | אֵלַ֖י | ʾēlay | ay-LAI |
| me void, | רֵיקָ֑ם | rêqām | ray-KAHM |
| but | כִּ֤י | kî | kee |
| אִם | ʾim | eem | |
| it shall accomplish | עָשָׂה֙ | ʿāśāh | ah-SA |
| אֶת | ʾet | et | |
| which that | אֲשֶׁ֣ר | ʾăšer | uh-SHER |
| I please, | חָפַ֔צְתִּי | ḥāpaṣtî | ha-FAHTS-tee |
| prosper shall it and | וְהִצְלִ֖יחַ | wĕhiṣlîaḥ | veh-heets-LEE-ak |
| in the thing whereto | אֲשֶׁ֥ר | ʾăšer | uh-SHER |
| I sent | שְׁלַחְתִּֽיו׃ | šĕlaḥtîw | sheh-lahk-TEEV |
Cross Reference
मत्ती 24:35
आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
यशायाह 46:10
मैं तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूं जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूं, मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूंगा।
यूहन्ना 6:63
आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।
यशायाह 45:23
मैं ने अपनी ही शपथ खाई, धर्म के अनुसार मेरे मुख से यह वचन निकला है और वह नहीं टलेगा, प्रत्येक घुटना मेरे सम्मुख झुकेगा और प्रत्येक के मुख से मेरी ही शपथ खाई जाएगी॥
रोमियो 10:17
सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।
लूका 8:11
दृष्टान्त यह है; बीज तो परमेश्वर का वचन है।
1 कुरिन्थियों 3:6
मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्वर ने बढ़ाया।
1 पतरस 1:23
क्योंकि तुम ने नाशमान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है।
याकूब 1:18
उस ने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्टि की हुई वस्तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों॥
1 थिस्सलुनीकियों 2:13
इसलिये हम भी परमेश्वर का धन्यवाद निरन्तर करते हैं; कि जब हमारे द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार का वचन तुम्हारे पास पहुंचा, तो तुम ने उस मनुष्यों का नहीं, परन्तु परमेश्वर का वचन समझकर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया: और वह तुम में जो विश्वास रखते हो, प्रभावशाली है।
व्यवस्थाविवरण 32:2
मेरा उपदेश मेंह की नाईं बरसेगा और मेरी बातें ओस की नाईं टपकेंगी, जैसे कि हरी घास पर झीसी, और पौधों पर झडिय़ां॥
1 कुरिन्थियों 1:18
क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।
यशायाह 44:26
और अपने दास के वचन को पूरा करता और अपने दूतों की युक्ति को सफल करता हूं; जो यरूशलेम के विषय कहता है, वह फिर बसाई जाएगी और यहूदा के नगरों के विषय, वे फिर बनाए जाएंगे और मैं उनके खण्डहरों को सुधारूंगा;
इब्रानियों 6:7
क्योंकि जो भूमि वर्षा के पानी को जो उस पर बार बार पड़ता है, पी पीकर जिन लोगों के लिये वह जोती-बोई जाती है, उन के काम का साग-पात उपजाती है, वह परमेश्वर से आशीष पाती है।
इफिसियों 1:9
कि उस ने अपनी इच्छा का भेद उस सुमति के अनुसार हमें बताया जिसे उस ने अपने आप में ठान लिया था।
यशायाह 54:9
यह मेरी दृष्टि में नूह के समय के जलप्रलय के समान है; क्योंकि जैसे मैं ने शपथ खाई थी कि नूह के समय के जलप्रलय से पृथ्वी फिर न डूबेगी, वैसे ही मैं ने यह भी शपथ खाई है कि फिर कभी तुझ पर क्रोध न करूंगा और न तुझ को धमकी दूंगा।