नीतिवचन 27:20 in Hindi

हिंदी हिंदी बाइबिल नीतिवचन नीतिवचन 27 नीतिवचन 27:20

Proverbs 27:20
जैसे अधोलोक और विनाशलोक, वैसे ही मनुष्य की आंखें भी तृप्त नहीं होती।

Proverbs 27:19Proverbs 27Proverbs 27:21

Proverbs 27:20 in Other Translations

King James Version (KJV)
Hell and destruction are never full; so the eyes of man are never satisfied.

American Standard Version (ASV)
Sheol and Abaddon are never satisfied; And the eyes of man are never satisfied.

Bible in Basic English (BBE)
The underworld and Abaddon are never full, and the eyes of man have never enough.

Darby English Bible (DBY)
Sheol and destruction are insatiable; so the eyes of man are never satisfied.

World English Bible (WEB)
Sheol and Abaddon are never satisfied; And a man's eyes are never satisfied.

Young's Literal Translation (YLT)
Sheol and destruction are not satisfied, And the eyes of man are not satisfied.

Hell
שְׁא֣וֹלšĕʾôlsheh-OLE
and
destruction
וַ֭אֲבַדֹּהwaʾăbaddōVA-uh-va-doh
are
never
לֹ֣אlōʾloh
full;
תִשְׂבַּ֑עְנָהtiśbaʿnâtees-BA-na
eyes
the
so
וְעֵינֵ֥יwĕʿênêveh-ay-NAY
of
man
הָ֝אָדָ֗םhāʾādāmHA-ah-DAHM
are
never
לֹ֣אlōʾloh
satisfied.
תִשְׂבַּֽעְנָה׃tiśbaʿnâtees-BA-na

Cross Reference

सभोपदेशक 1:8
सब बातें परिश्रम से भरी हैं; मनुष्य इसका वर्णन नहीं कर सकता; न तो आंखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं।

हबक्कूक 2:5
दाखमधु से धोखा होता है; अहंकारी पुरूष घर में नहीं रहता, और उसकी लालसा अधोलोक के समान पूरी नहीं होती, और मृत्यु की नाईं उसका पेट नहीं भरता। वह सब जातियों को अपने पास खींच लेता, और सब देशों के लोगों को अपने पास इकट्ठे कर रखता है॥

नीतिवचन 30:15
जैसे जोंक की दो बेटियां होती हैं, जो कहती हैं दे, दे, वैसे ही तीन वस्तुएं हैं, जो तृप्त नहीं होतीं; वरन चार हैं, जो कभी नहीं कहतीं, बस।

सभोपदेशक 6:7
मनुष्य का सारा परिश्रम उसके पेट के लिये होता है तौभी उसका मन नहीं भरता।

सभोपदेशक 2:10
और जितनी वस्तुओं के देखने की मैं ने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका; मैं ने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला।

1 यूहन्ना 2:16
क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है।

यिर्मयाह 22:17
परन्तु तू केवल अपना ही लाभ देखता है, और निर्दोषों की हत्या करने और अन्धेर और उपद्रव करने में अपना मन और दृष्टि लगाता है।

सभोपदेशक 5:10
जो रूपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।

सभोपदेशक 4:8
कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आंखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किस के लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूं? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है।

नीतिवचन 23:5
क्या तू अपनी दृष्टि उस वस्तु पर लगाएगा, जो है ही नहीं? वह उकाब पक्षी की नाईं पंख लगा कर, नि:सन्देह आकाश की ओर उड़ जाता है।

नीतिवचन 15:11
जब कि अधोलोक और विनाशलोक यहोवा के साम्हने खुले रहते हैं, तो निश्चय मनुष्यों के मन भी।

अय्यूब 26:6
अधोलोक उसके साम्हने उघड़ा रहता है, और विनाश का स्थान ढंप नहीं सकता।