भजन संहिता 1:3
वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥
And he shall be | וְֽהָיָ֗ה | wĕhāyâ | veh-ha-YA |
like a tree | כְּעֵץ֮ | kĕʿēṣ | keh-AYTS |
planted | שָׁת֪וּל | šātûl | sha-TOOL |
by | עַֽל | ʿal | al |
the rivers | פַּלְגֵ֫י | palgê | pahl-ɡAY |
of water, | מָ֥יִם | māyim | MA-yeem |
that | אֲשֶׁ֤ר | ʾăšer | uh-SHER |
bringeth forth | פִּרְי֨וֹ׀ | piryô | peer-YOH |
fruit his | יִתֵּ֬ן | yittēn | yee-TANE |
in his season; | בְּעִתּ֗וֹ | bĕʿittô | beh-EE-toh |
his leaf | וְעָלֵ֥הוּ | wĕʿālēhû | veh-ah-LAY-hoo |
not shall also | לֹֽא | lōʾ | loh |
wither; | יִבּ֑וֹל | yibbôl | YEE-bole |
and whatsoever | וְכֹ֖ל | wĕkōl | veh-HOLE |
אֲשֶׁר | ʾăšer | uh-SHER | |
he doeth | יַעֲשֶׂ֣ה | yaʿăśe | ya-uh-SEH |
shall prosper. | יַצְלִֽיחַ׃ | yaṣlîaḥ | yahts-LEE-ak |