भजन संहिता 101
1 मैं करूणा और न्याय के विषय गाऊंगा; हे यहोवा, मैं तेरा ही भजन गाऊंगा।
2 मैं बुद्धिमानी से खरे मार्ग में चलूंगा। तू मेरे पास कब आएगा! मैं अपने घर में मन की खराई के साथ अपनी चाल चलूंगा;
3 मैं किसी ओछे काम पर चित्त न लगाऊंगा॥ मैं कुमार्ग पर चलने वालों के काम से घिन रखता हूं; ऐसे काम में मैं न लगूंगा।
4 टेढ़ा स्वभाव मुझ से दूर रहेगा; मैं बुराई को जानूंगा भी नहीं॥
5 जो छिप कर अपने पड़ोसी की चुगली खाए, उसको मैं सत्यानाश करूंगा; जिसकी आंखें चढ़ी हों और जिसका मन घमण्डी है, उसकी मैं न सहूंगा॥
6 मेरी आंखें देश के विश्वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगी कि वे मेरे संग रहें; जो खरे मार्ग पर चलता है वही मेरा टहलुआ होगा॥
7 जो छल करता है वह मेरे घर के भीतर न रहने पाएगा; जो झूठ बोलता है वह मेरे साम्हने बना न रहेगा॥
8 भोर ही भोर को मैं देश के सब दुष्टों को सत्यानाश किया करूंगा, इसलिये कि यहोवा के नगर के सब अनर्थकारियों को नाश करूं॥
1 A Psalm of David.
2 I will sing of mercy and judgment: unto thee, O Lord, will I sing.
3 I will behave myself wisely in a perfect way. O when wilt thou come unto me? I will walk within my house with a perfect heart.
4 I will set no wicked thing before mine eyes: I hate the work of them that turn aside; it shall not cleave to me.
5 A froward heart shall depart from me: I will not know a wicked person.
6 Whoso privily slandereth his neighbour, him will I cut off: him that hath an high look and a proud heart will not I suffer.
7 Mine eyes shall be upon the faithful of the land, that they may dwell with me: he that walketh in a perfect way, he shall serve me.
8 He that worketh deceit shall not dwell within my house: he that telleth lies shall not tarry in my sight.
9 I will early destroy all the wicked of the land; that I may cut off all wicked doers from the city of the Lord.