भजन संहिता 109:17
वह शाप देने में प्रीति रखता था, और शाप उस पर आ पड़ा; वह आशीर्वाद देने से प्रसन्न न होता था, सो आर्शीवाद उससे दूर रहा।
As he loved | וַיֶּאֱהַ֣ב | wayyeʾĕhab | va-yeh-ay-HAHV |
cursing, | קְ֭לָלָה | qĕlālâ | KEH-la-la |
come it let so | וַתְּבוֹאֵ֑הוּ | wattĕbôʾēhû | va-teh-voh-A-hoo |
delighted he as him: unto | וְֽלֹא | wĕlōʾ | VEH-loh |
not | חָפֵ֥ץ | ḥāpēṣ | ha-FAYTS |
in blessing, | בִּ֝בְרָכָ֗ה | bibrākâ | BEEV-ra-HA |
far be it let so | וַתִּרְחַ֥ק | wattirḥaq | va-teer-HAHK |
from | מִמֶּֽנּוּ׃ | mimmennû | mee-MEH-noo |