भजन संहिता 110
1 मेरे प्रभु से यहोवा की वाणी यह है, कि तू मेरे दाहिने हाथ बैठ, जब तक मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न कर दूं॥
2 तेरे पराक्रम का राजदण्ड यहोवा सिय्योन से बढ़ाएगा। तू अपने शत्रुओं के बीच में शासन कर।
3 तेरी प्रजा के लोग तेरे पराक्रम के दिन स्वेच्छाबलि बनते हैं; तेरे जवान लोग पवित्रता से शोभायमान, और भोर के गर्भ से जन्मी हुई ओस के समान तेरे पास हैं।
4 यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा, कि तू मेल्कीसेदेक की रीति पर सर्वदा का याजक है॥
5 प्रभु तेरी दाहिनी ओर होकर अपने क्रोध के दिन राजाओं को चूर कर देगा।
6 वह जाति जाति में न्याय चुकाएगा, रणभूमि लोथों से भर जाएगी; वह लम्बे चौड़े देश के प्रधान को चूर चूर कर देगा।
7 वह मार्ग में चलता हुआ नदी का जल पीएगा इस कारण वह सिर को ऊंचा करेगा॥
1 A Psalm of David.
2 The Lord said unto my Lord, Sit thou at my right hand, until I make thine enemies thy footstool.
3 The Lord shall send the rod of thy strength out of Zion: rule thou in the midst of thine enemies.
4 Thy people shall be willing in the day of thy power, in the beauties of holiness from the womb of the morning: thou hast the dew of thy youth.
5 The Lord hath sworn, and will not repent, Thou art a priest for ever after the order of Melchizedek.
6 The Lord at thy right hand shall strike through kings in the day of his wrath.
7 He shall judge among the heathen, he shall fill the places with the dead bodies; he shall wound the heads over many countries.
8 He shall drink of the brook in the way: therefore shall he lift up the head.