भजन संहिता 127:2
तुम जो सवेरे उठते और देर करके विश्राम करते और दु:ख भरी रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को यों ही नींद दान करता है॥
It is vain | שָׁ֤וְא | šāwĕʾ | SHA-veh |
up rise to you for | לָכֶ֨ם | lākem | la-HEM |
early, | מַשְׁכִּ֪ימֵֽי | maškîmê | mahsh-KEE-may |
to sit up | ק֡וּם | qûm | koom |
late, | מְאַֽחֲרֵי | mĕʾaḥărê | meh-AH-huh-ray |
eat to | שֶׁ֗בֶת | šebet | SHEH-vet |
the bread | אֹ֭כְלֵי | ʾōkĕlê | OH-heh-lay |
of sorrows: | לֶ֣חֶם | leḥem | LEH-hem |
so for | הָעֲצָבִ֑ים | hāʿăṣābîm | ha-uh-tsa-VEEM |
he giveth | כֵּ֤ן | kēn | kane |
his beloved | יִתֵּ֖ן | yittēn | yee-TANE |
sleep. | לִֽידִיד֣וֹ | lîdîdô | lee-dee-DOH |
שֵׁנָֽא׃ | šēnāʾ | shay-NA |