भजन संहिता 13:2
मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?
How long | עַד | ʿad | ad |
אָ֨נָה | ʾānâ | AH-na | |
shall I take | אָשִׁ֪ית | ʾāšît | ah-SHEET |
counsel | עֵצ֡וֹת | ʿēṣôt | ay-TSOTE |
in my soul, | בְּנַפְשִׁ֗י | bĕnapšî | beh-nahf-SHEE |
having sorrow | יָג֣וֹן | yāgôn | ya-ɡONE |
heart my in | בִּלְבָבִ֣י | bilbābî | beel-va-VEE |
daily? | יוֹמָ֑ם | yômām | yoh-MAHM |
how long | עַד | ʿad | ad |
אָ֓נָה׀ | ʾānâ | AH-na | |
enemy mine shall | יָר֖וּם | yārûm | ya-ROOM |
be exalted | אֹיְבִ֣י | ʾôybî | oy-VEE |
over | עָלָֽי׃ | ʿālāy | ah-LAI |