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भजन संहिता 144:4 छवि
मनुष्य तो सांस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं॥
मनुष्य तो सांस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं॥
मनुष्य तो सांस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं॥