भजन संहिता 38:12
मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि के यत्न करने वाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं।
They also that seek after | וַיְנַקְשׁ֤וּ׀ | waynaqšû | vai-nahk-SHOO |
life my | מְבַקְשֵׁ֬י | mĕbaqšê | meh-vahk-SHAY |
lay snares | נַפְשִׁ֗י | napšî | nahf-SHEE |
seek that they and me: for | וְדֹרְשֵׁ֣י | wĕdōrĕšê | veh-doh-reh-SHAY |
my hurt | רָ֭עָתִי | rāʿātî | RA-ah-tee |
speak | דִּבְּר֣וּ | dibbĕrû | dee-beh-ROO |
things, mischievous | הַוּ֑וֹת | hawwôt | HA-wote |
and imagine | וּ֝מִרְמ֗וֹת | ûmirmôt | OO-meer-MOTE |
deceits | כָּל | kāl | kahl |
all | הַיּ֥וֹם | hayyôm | HA-yome |
the day | יֶהְגּֽוּ׃ | yehgû | yeh-ɡOO |
Cross Reference
भजन संहिता 35:20
क्योंकि वे मेल की बातें नहीं बोलते, परन्तु देश में जो चुपचाप रहते हैं, उनके विरुद्ध छल की कल्पनाएं करते हैं।
भजन संहिता 140:5
घमण्डियों ने मेरे लिये फन्दा और पासे लगाए, और पथ के किनारे जाल बिछाया है; उन्होंने मेरे लिये फन्दे लगा रखे हैं॥
भजन संहिता 141:9
मुझे उस फन्दे से, जो उन्होंने मेरे लिये लगाया है, और अनर्थकारियों के जाल से मेरी रक्षा कर!
भजन संहिता 64:2
कुकर्मियों की गोष्ठी से, और अनर्थकारियों के हुल्लड़ से मेरी आड़ हो।
भजन संहिता 35:4
जो मेरे प्राण के ग्राहक हैं वे लज्जित और निरादर हों! जो मेरी हानि की कल्पना करते हैं, वह पीछे हटाए जाएं और उनका मुंह काला हो!
2 शमूएल 17:1
फिर अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, मुझे बारह हजार पुरुष छांटने दे, और मैं उठ कर आज ही रात को दाऊद का पीछा करूंगा।
2 शमूएल 16:7
और शिमी कोसता हुआ यों बकता गया, कि दूर हो खूनी, दूर हो ओछे, निकल जा, निकल जा!
लूका 20:19
उसी घड़ी शास्त्रियों और महायाजकों ने उसे पकड़ना चाहा, क्योंकि समझ गए, कि उस ने हम पर यह दृष्टान्त कहा, परन्तु वे लोगों से डरे।
भजन संहिता 119:110
दुष्टों ने मेरे लिये फन्दा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।
भजन संहिता 62:3
तुम कब तक एक पुरूष पर धावा करते रहोगे, कि सब मिलकर उसका घात करो? वह तो झुकी हुई भीत वा गिरते हुए बाड़े के समान है।
भजन संहिता 54:3
क्योंकि परदेशी मेरे विरुद्ध उठे हैं, और बलात्कारी मेरे प्राण के ग्राहक हुए हैं; उन्होंने परमेश्वर को अपने सम्मुख नहीं जाना॥
भजन संहिता 10:9
जैसा सिंह अपनी झाड़ी में वैसा ही वह भी छिपकर घात में बैठा करता है; वह दीन को पकड़ने के लिये घात लगाए रहता है, वह दीन को अपने जाल में फंसाकर घसीट लाता है, तब उसे पकड़ लेता है।