Psalm 39:6
सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा!
Psalm 39:6 in Other Translations
King James Version (KJV)
Surely every man walketh in a vain shew: surely they are disquieted in vain: he heapeth up riches, and knoweth not who shall gather them.
American Standard Version (ASV)
Surely every man walketh in a vain show; Surely they are disquieted in vain: He heapeth up `riches', and knoweth not who shall gather them.
Bible in Basic English (BBE)
Truly, every man goes on his way like an image; he is troubled for no purpose: he makes a great store of wealth, and has no knowledge of who will get it.
Darby English Bible (DBY)
Verily, man walketh in a vain show; verily they are disquieted in vain; he heapeth up [riches], and knoweth not who shall gather them.
Webster's Bible (WBT)
Behold, thou hast made my days as a hand-breadth; and my age is as nothing before thee: verily every man at his best state is altogether vanity. Selah.
World English Bible (WEB)
"Surely every man walks like a shadow. Surely they busy themselves in vain. He heaps up, and doesn't know who shall gather.
Young's Literal Translation (YLT)
Only, in an image doth each walk habitually, Only, `in' vain, they are disquieted, He heapeth up and knoweth not who gathereth them.
| Surely | אַךְ | ʾak | ak |
| every man | בְּצֶ֤לֶם׀ | bĕṣelem | beh-TSEH-lem |
| walketh | יִֽתְהַלֶּךְ | yitĕhallek | YEE-teh-ha-lek |
| shew: vain a in | אִ֗ישׁ | ʾîš | eesh |
| surely | אַךְ | ʾak | ak |
| they are disquieted | הֶ֥בֶל | hebel | HEH-vel |
| vain: in | יֶהֱמָי֑וּן | yehĕmāyûn | yeh-hay-ma-YOON |
| he heapeth up | יִ֝צְבֹּ֗ר | yiṣbōr | YEETS-BORE |
| knoweth and riches, | וְֽלֹא | wĕlōʾ | VEH-loh |
| not | יֵדַ֥ע | yēdaʿ | yay-DA |
| who | מִי | mî | mee |
| shall gather | אֹסְפָֽם׃ | ʾōsĕpām | oh-seh-FAHM |
Cross Reference
1 कुरिन्थियों 7:31
और इस संसार के बरतने वाले ऐसे हों, कि संसार ही के न हो लें; क्योंकि इस संसार की रीति और व्यवहार बदलते जाते हैं।
लूका 12:20
परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा; हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?
सभोपदेशक 2:26
जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनन्द देता है; परन्तु पापी को वह दु:खभरा काम ही देता है कि वह उसका देने के लिये संचय कर के ढेर लगाए जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा हो। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है॥
याकूब 4:14
और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।
सभोपदेशक 5:14
और वह किसी बुरे काम में उड़ जाता है; और उसके घर में बेटा उत्पन्न होता है परन्तु उसके हाथ मे कुछ नहीं रहता।
अय्यूब 27:16
चाहे वह रुपया धूलि के समान बटोर रखे और वस्त्र मिट्टी के किनकों के तुल्य अनगिनित तैयार कराए,
लूका 10:40
पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे।
लूका 12:29
और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्देह करो।
याकूब 5:3
तुम्हारे सोने-चान्दी में काई लग गई है; और वह काई तुम पर गवाही देगी, और आग की नाईं तुम्हारा मांस खा जाएगी: तुम ने अन्तिम युग में धन बटोरा है।
1 पतरस 1:24
क्योंकि हर एक प्राणी घास की नाईं है, और उस की सारी शोभा घास के फूल की नाईं है: घास सूख जाती है, और फूल झड़ जाता है।
1 पतरस 5:7
और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।
यशायाह 55:2
जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रूपया लगाते हो, और, जिस से पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएं खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएं खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे।
सभोपदेशक 12:13
सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।
भजन संहिता 127:2
तुम जो सवेरे उठते और देर करके विश्राम करते और दु:ख भरी रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को यों ही नींद दान करता है॥
नीतिवचन 13:22
भला मनुष्य अपने नाती- पोतों के लिये भाग छोड़ जाता है, परन्तु पापी की सम्पत्ति धर्मी के लिये रखी जाती है।
नीतिवचन 23:5
क्या तू अपनी दृष्टि उस वस्तु पर लगाएगा, जो है ही नहीं? वह उकाब पक्षी की नाईं पंख लगा कर, नि:सन्देह आकाश की ओर उड़ जाता है।
नीतिवचन 27:24
क्योंकि सम्पत्ति सदा नहीं ठहरती; और क्या राजमुकुट पीढ़ी-पीढ़ी चला जाता है?
सभोपदेशक 1:14
मैं ने उन सब कामों को देखा जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं; देखो वे सब व्यर्थ और मानो वायु को पकड़ना है।
सभोपदेशक 2:8
मैं ने चान्दी और सोना और राजाओं और प्रान्तों के बहुमूल्य पदार्थों का भी संग्रह किया; मैं ने अपने लिये गवैयों और गानेवालियों को रखा, और बहुत सी कामिनियां भी, जिन से मनुष्य सुख पाते हैं, अपनी कर लीं॥
सभोपदेशक 2:17
बुद्धिमान क्योंकर मूर्ख के समान मरता है! इसलिये मैं ने अपने जीवन से घृणा की, क्योंकि जो काम संसार में किया जाता है मुझे बुरा मालूम हुआ; क्योंकि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।
सभोपदेशक 4:7
फिर मैं ने धरती पर यह भी व्यर्थ बात देखी।
सभोपदेशक 6:11
बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनके कारण जीवन और भी व्यर्थ होता है तो फिर मनुष्य को क्या लाभ?
सभोपदेशक 12:8
उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।
भजन संहिता 49:10
क्योंकि देखने में आता है, कि बुद्धिमान भी मरते हैं, और मूर्ख और पशु सरीखे मनुष्य भी दोनोंनाश होते हैं, और अपनी सम्पत्ति औरों के लिये छोड़ जाते हैं।