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भजन संहिता 52:4 छवि
हे छली जीभ तू सब विनाश करने वाली बातों से प्रसन्न रहती है॥
हे छली जीभ तू सब विनाश करने वाली बातों से प्रसन्न रहती है॥
हे छली जीभ तू सब विनाश करने वाली बातों से प्रसन्न रहती है॥