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भजन संहिता 90:6 छवि
वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक कट कर मुर्झा जाती है॥
वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक कट कर मुर्झा जाती है॥
वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक कट कर मुर्झा जाती है॥