Isaiah 60:10 in Hindi

Hindi Hindi Bible Isaiah Isaiah 60 Isaiah 60:10

Isaiah 60:10
परदेशी लोग तेरी शहरपनाह को उठाएंगे, और उनके राजा तेरी सेवा टहल करेंगे; क्योंकि मैं ने क्रोध में आकर तुझे दु:ख दिया था, परन्तु अब तुझ से प्रसन्न हो कर तुझ पर दया की है।

Isaiah 60:9Isaiah 60Isaiah 60:11

Isaiah 60:10 in Other Translations

King James Version (KJV)
And the sons of strangers shall build up thy walls, and their kings shall minister unto thee: for in my wrath I smote thee, but in my favour have I had mercy on thee.

American Standard Version (ASV)
And foreigners shall build up thy walls, and their kings shall minister unto thee: for in my wrath I smote thee, but in my favor have I had mercy on thee.

Bible in Basic English (BBE)
And men from strange countries will be building up your walls, and their kings will be your servants: for in my wrath I sent punishment on you, but in my grace I have had mercy on you.

Darby English Bible (DBY)
And the sons of the alien shall build up thy walls, and their kings shall minister unto thee. For in my wrath I smote thee, but in my favour have I had mercy on thee.

World English Bible (WEB)
Foreigners shall build up your walls, and their kings shall minister to you: for in my wrath I struck you, but in my favor have I had mercy on you.

Young's Literal Translation (YLT)
And sons of a stranger have built thy walls, And their kings do serve thee, For in My wrath I have smitten thee, And in My good pleasure I have pitied thee.

And
the
sons
וּבָנ֤וּûbānûoo-va-NOO
of
strangers
בְנֵֽיbĕnêveh-NAY
shall
build
up
נֵכָר֙nēkārnay-HAHR
walls,
thy
חֹמֹתַ֔יִךְḥōmōtayikhoh-moh-TA-yeek
and
their
kings
וּמַלְכֵיהֶ֖םûmalkêhemoo-mahl-hay-HEM
shall
minister
יְשָׁרְת֑וּנֶךְyĕšortûnekyeh-shore-TOO-nek
for
thee:
unto
כִּ֤יkee
in
my
wrath
בְקִצְפִּי֙bĕqiṣpiyveh-keets-PEE
I
smote
הִכִּיתִ֔יךְhikkîtîkhee-kee-TEEK
favour
my
in
but
thee,
וּבִרְצוֹנִ֖יûbirṣônîoo-veer-tsoh-NEE
have
I
had
mercy
רִֽחַמְתִּֽיךְ׃riḥamtîkREE-hahm-TEEK

Cross Reference

Revelation 21:24
और जाति जाति के लोग उस की ज्योति में चले फिरेंगे, और पृथ्वी के राजा अपने अपने तेज का सामान उस में लाएंगे।

Zechariah 6:15
फिर दूर दूर के लोग आ आकर यहोवा के मन्दिर बनाने में सहायता करेंगे, और तुम जानोगे कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। और यदि तुम मन लगाकर अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करो तो यह बात पूरी होगी॥

Isaiah 49:23
राजा तेरे बच्चों के निज-सेवक और उनकी रानियां दूध पिलाने के लिये तेरी धाइयां होंगी। वे अपनी नाक भूमि पर रगड़ कर तुझे दण्डवत करेंगे और तेरे पांवों की धूलि चाटेंगे। तब तू यह जान लेगी कि मैं ही यहोवा हूं; मेरी बाट जोहने वाले कभी लज्जित न होंगे॥

Isaiah 61:5
परदेशी आ खड़े होंगे और तुम्हारी भेड़-बकरियों को चराएंगे और विदेशी लोग तुम्हारे चरवाहे और दाख की बारी के माली होंगे;

Revelation 21:26
और लोग जाति जाति के तेज और विभव का सामान उस में लाएंगे।

Isaiah 66:21
और उन में से मैं कितने लोगों को याजक और लेवीय पद के लिये भी चुन लूंगा॥

Isaiah 60:3
और अन्यजातियां तेरे पास प्रकाश के लिये और राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे॥

Isaiah 57:17
उसके लोभ के पाप के कारण मैं ने क्रोधित हो कर उसको दु:ख दिया था, और क्रोध के मारे उस से मुंह छिपाया था; परन्तु वह अपने मनमाने मार्ग में दूर भटकता चला गया था।

Isaiah 54:7
क्षण भर ही के लिये मैं ने तुझे छोड़ दिया था, परन्तु अब बड़ी दया कर के मैं फिर तुझे रख लूंगा।

Isaiah 14:1
यहोवा याकूब पर दया करेगा, और इस्राएल को फिर अपनाकर, उन्हीं के देश में बसाएगा, और परदेशी उन से मिल जाएंगे और अपने अपने को याकूब के घराने से मिला लेंगे।

Isaiah 12:1
उस दिन तू कहेगा, हे यहोवा, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, क्योंकि यद्यिप तू मुझ पर क्रोधित हुआ था, परन्तु अब तेरा क्रोध शान्त हुआ, और तू ने मुझे शान्ति दी है॥

Psalm 30:5
क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है, परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है। कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सबेरे आनन्द पहुंचेगा॥

Nehemiah 2:7
फिर मैं ने राजा से कहा, यदि राजा को भाए, तो महानद के पार के अधिपतियों के लिये इस आशय की चिट्ठियां मुझे दी जाएं कि जब तक मैं यहूदा को न पहुंचूं, तब तक वे मुझे अपने अपने देश में से हो कर जाने दें।

Ezra 7:12
अर्थात, एज्रा याजक जो स्वर्ग के परमेश्वर की व्यवस्था का पूर्ण शास्त्री है, उसको अर्तक्षत्र महाराजाधिराज की ओर से, इत्यादि।

Ezra 6:3
कि राजा कुस्रू के पहिले वर्ष में उसी कुस्रू राजा ने यह आज्ञा दी, कि परमेश्वर के भवन के विष्य जो यरूशलेम में है, अर्थात वह भवन जिस में बलिदान किए जाते थे, वह बनाया जाए और उसकी नेव दृढ़ता से डाली जाए, उसकी ऊंचाई और चौड़ाई साठ साठ हाथ की हों;