Job 24:15
व्यभिचारी यह सोच कर कि कोई मुझ को देखने न पाए, दिन डूबने की राह देखता रहता है, और वह अपना मुंह छिपाए भी रखता है।
The eye | וְעֵ֤ין | wĕʿên | veh-ANE |
adulterer the of also | נֹאֵ֨ף׀ | nōʾēp | noh-AFE |
waiteth | שָׁ֤מְרָֽה | šāmĕrâ | SHA-meh-ra |
for the twilight, | נֶ֣שֶׁף | nešep | NEH-shef |
saying, | לֵ֭אמֹר | lēʾmōr | LAY-more |
No | לֹא | lōʾ | loh |
eye | תְשׁוּרֵ֣נִי | tĕšûrēnî | teh-shoo-RAY-nee |
shall see | עָ֑יִן | ʿāyin | AH-yeen |
disguiseth and me: | וְסֵ֖תֶר | wĕsēter | veh-SAY-ter |
פָּנִ֣ים | pānîm | pa-NEEM | |
his face. | יָשִֽׂים׃ | yāśîm | ya-SEEM |
Cross Reference
Psalm 10:11
वह अपने मन में सोचता है, कि ईश्वर भूल गया, वह अपना मुंह छिपाता है; वह कभी नहीं देखेगा॥
Proverbs 7:9
उस समय दिन ढल गया, और संध्याकाल आ गया था, वरन रात का घोर अन्धकार छा गया था।
Ezekiel 9:9
तब उसने मुझ से कहा, इस्राएल और यहूदा के घरानों का अधर्म अत्यन्त ही अधिक है, यहां तक कि देश हत्या से और नगर अन्याय से भर गया है; क्योंकि वे कहते हें कि यहोवा ने पृथ्वी को त्याग दिया और यहोवा कुछ नहीं देखता।
Ezekiel 8:12
तब उसने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू ने देखा है कि इस्राएल के घराने के पुरनिये अपनी अपनी नक्काशी वाली कोठरियों के भीतर अर्थात अन्धियारे में क्या कर रहे हैं? वे कहते हैं कि यहोवा हम को नहीं देखता; यहोवा ने देश को त्याग दिया है।
Proverbs 6:32
परन्तु जो परस्त्रीगमन करता है वह निरा निर्बुद्ध है; जो अपने प्राणों को नाश करना चाहता है, वह ऐसा करता है॥
Psalm 94:7
और कहते हैं, कि याह न देखेगा, याकूब का परमेश्वर विचार न करेगा॥
Psalm 73:11
फिर वे कहते हैं, ईश्वर कैसे जानता है? क्या परमप्रधान को कुछ ज्ञान है?
Psalm 50:18
जब तू ने चोर को देखा, तब उसकी संगति से प्रसन्न हुआ; और परस्त्रीगामियों के साथ भागी हुआ॥
Job 22:13
फिर तू कहता है कि ईश्वर क्या जानता है? क्या वह घोर अन्धकार की आड़ में हो कर न्याय करेगा?
2 Samuel 12:12
तू ने तो वह काम छिपाकर किया; पर मैं यह काम सब इस्राएलियों के साम्हने दिन दुपहरी कराऊंगा।
2 Samuel 11:4
तब दाऊद ने दूत भेज कर उसे बुलवा लिया; और वह दाऊद के पास आई, और वह उसके साथ सोया। ( वह तो ऋतु से शुद्ध हो गई थी ) तब वह अपने घर लौट गई।
Exodus 20:14
तू व्यभिचार न करना॥
Genesis 38:14
तब उसने यह सोच कर, कि शेला सियाना तो हो गया पर मैं उसकी स्त्री नहीं होने पाई; अपना विधवापन का पहिरावा उतारा, और घूंघट डाल कर अपने को ढांप लिया, और एनैम नगर के फाटक के पास, जो तिम्नाथ के मार्ग में है, जा बैठी: