Psalm 29
1 हे परमेश्वर के पुत्रों यहोवा का, हां यहोवा ही का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ को सराहो।
2 यहोवा के नाम की महिमा करो; पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत् करो।
3 यहोवा की वाणी मेघों के ऊपर सुन पड़ती है; प्रतापी ईश्वर गरजता है, यहोवा घने मेघों के ऊपर रहता है।
4 यहोवा की वाणी शक्तिशाली है, यहोवा की वाणी प्रतापमय है।
5 यहोवा की वाणी देवदारों को तोड़ डालती है; यहोवा लबानोन के देवदारों को भी तोड़ डालता है।
6 वह उन्हें बछड़े की नाईं और लबानोन और शिर्योन को जंगली बछड़े के समान उछालता है॥
7 यहोवा की वाणी आग की लपटों को चीरती है।
8 यहोवा की वाणी वन को हिला देती है, यहोवा कादेश के वन को भी कंपाता है॥
9 यहोवा की वाणी से हरिणियों का गर्भपात हो जाता है। और अरण्य में पतझड़ होती है; और उसके मन्दिर में सब कोई महिमा ही महिमा बोलता रहता है॥
10 जलप्रलय के समय यहोवा विराजमान था; और यहोवा सर्वदा के लिये राजा होकर विराजमान रहता है।
11 यहोवा अपनी प्रजा को बल देगा; यहोवा अपनी प्रजा को शान्ति की आशीष देगा॥
1 A Psalm of David.
2 Give unto the Lord, O ye mighty, give unto the Lord glory and strength.
3 Give unto the Lord the glory due unto his name; worship the Lord in the beauty of holiness.
4 The voice of the Lord is upon the waters: the God of glory thundereth: the Lord is upon many waters.
5 The voice of the Lord is powerful; the voice of the Lord is full of majesty.
6 The voice of the Lord breaketh the cedars; yea, the Lord breaketh the cedars of Lebanon.
7 He maketh them also to skip like a calf; Lebanon and Sirion like a young unicorn.
8 The voice of the Lord divideth the flames of fire.
9 The voice of the Lord shaketh the wilderness; the Lord shaketh the wilderness of Kadesh.
10 The voice of the Lord maketh the hinds to calve, and discovereth the forests: and in his temple doth every one speak of his glory.
11 The Lord sitteth upon the flood; yea, the Lord sitteth King for ever.
12 The Lord will give strength unto his people; the Lord will bless his people with peace.