Psalm 58
1 हे मनुष्यों, क्या तुम सचमुच धर्म की बात बोलते हो? और हे मनुष्यवंशियों क्या तुम सीधाई से न्याय करते हो?
2 नहीं, तुम मन ही मन में कुटिल काम करते हो; तुम देश भर में उपद्रव करते जाते हो॥
3 दुष्ट लोग जन्मते ही पराए हो जाते हैं, वे पेट से निकलते ही झूठ बोलते हुए भटक जाते हैं।
4 उन में सर्प का सा विष है; वे उस नाम के समान हैं, जो सुनना नहीं चाहता;
5 और सपेरा कैसी ही निपुणता से क्योंन मंत्र पढ़े, तौभी उसकी नहीं सुनता॥
6 हे परमेश्वर, उनके मुंह में से दांतों को तोड़ दे; हे यहोवा उन जवान सिंहों की दाढ़ों को उखाड़ डाल!
7 वे घुलकर बहते हुए पानी के समान हो जाएं; जब वे अपने तीर चढ़ाएं, तब तीर मानों दो टुकड़े हो जाएं।
8 वे घोंघे के समान हो जाएं जो घुलकर नाश हो जाता है, और स्त्री के गिरे हुए गर्भ के समान हो जिसने सूरज को देखा ही नहीं।
9 उससे पहिले कि तुम्हारी हांडियों में कांटों की आंच लगे, हरे व जले, दोनों को वह बवंडर से उड़ा ले जाएगा॥
10 धर्मी ऐसा पलटा देखकर आनन्दित होगा; वह अपने पांव दुष्ट के लोहू में धोएगा॥
11 तब मनुष्य कहने लगेंगे, निश्चय धर्मी के लिये फल है; निश्चय परमेश्वर है, जो पृथ्वी पर न्याय करता है॥
1 To the chief Musician, Al-taschith, Michtam of David.
2 Do ye indeed speak righteousness, O congregation? do ye judge uprightly, O ye sons of men?
3 Yea, in heart ye work wickedness; ye weigh the violence of your hands in the earth.
4 The wicked are estranged from the womb: they go astray as soon as they be born, speaking lies.
5 Their poison is like the poison of a serpent: they are like the deaf adder that stoppeth her ear;
6 Which will not hearken to the voice of charmers, charming never so wisely.
7 Break their teeth, O God, in their mouth: break out the great teeth of the young lions, O Lord.
8 Let them melt away as waters which run continually: when he bendeth his bow to shoot his arrows, let them be as cut in pieces.
9 As a snail which melteth, let every one of them pass away: like the untimely birth of a woman, that they may not see the sun.
10 Before your pots can feel the thorns, he shall take them away as with a whirlwind, both living, and in his wrath.
11 The righteous shall rejoice when he seeth the vengeance: he shall wash his feet in the blood of the wicked.
12 So that a man shall say, Verily there is a reward for the righteous: verily he is a God that judgeth in the earth.