Psalm 82
1 परमेश्वर की सभा में परमेश्वर ही खड़ा है; वह ईश्वरों के बीच में न्याय करता है।
2 तुम लोग कब तक टेढ़ा न्याय करते और दुष्टों का पक्ष लेते रहोगे?
3 कंगाल और अनाथों का न्याय चुकाओ, दीन दरिद्र का विचार धर्म से करो।
4 कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ॥
5 वे न तो कुछ समझते और न कुछ बूझते हैं, परन्तु अन्धेरे में चलते फिरते रहते हैं; पृथ्वी की पूरी नीव हिल जाती है॥
6 मैं ने कहा था कि तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो;
7 तौभी तुम मनुष्यों की नाईं मरोगे, और किसी प्रधान के समान गिर जाओगे॥
8 हे परमेश्वर उठ, पृथ्वी का न्याय कर; क्योंकि तू ही सब जातियों को अपने भाग में लेगा!
1 A Psalm of Asaph.
2 God standeth in the congregation of the mighty; he judgeth among the gods.
3 How long will ye judge unjustly, and accept the persons of the wicked? Selah.
4 Defend the poor and fatherless: do justice to the afflicted and needy.
5 Deliver the poor and needy: rid them out of the hand of the wicked.
6 They know not, neither will they understand; they walk on in darkness: all the foundations of the earth are out of course.
7 I have said, Ye are gods; and all of you are children of the most High.
8 But ye shall die like men, and fall like one of the princes.
9 Arise, O God, judge the earth: for thou shalt inherit all nations.