Micah 7:1
हाय मुझ पर! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूं जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, वा रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा।
Woe | אַ֣לְלַי | ʾallay | AL-lai |
is me! for | לִ֗י | lî | lee |
I am | כִּ֤י | kî | kee |
gathered have they when as | הָיִ֙יתִי֙ | hāyîtiy | ha-YEE-TEE |
the summer fruits, | כְּאָסְפֵּי | kĕʾospê | keh-ose-PAY |
grapegleanings the as | קַ֔יִץ | qayiṣ | KA-yeets |
of the vintage: | כְּעֹלְלֹ֖ת | kĕʿōlĕlōt | keh-oh-leh-LOTE |
there is no | בָּצִ֑יר | bāṣîr | ba-TSEER |
cluster | אֵין | ʾên | ane |
eat: to | אֶשְׁכּ֣וֹל | ʾeškôl | esh-KOLE |
my soul | לֶאֱכ֔וֹל | leʾĕkôl | leh-ay-HOLE |
desired | בִּכּוּרָ֖ה | bikkûrâ | bee-koo-RA |
the firstripe fruit. | אִוְּתָ֥ה | ʾiwwĕtâ | ee-weh-TA |
נַפְשִֽׁי׃ | napšî | nahf-SHEE |